बनारस की लोक कला धर्म एवं संस्कृति के परिपेक्ष्य में
बनारस की लोक कला और संस्कृति: एक परिपेक्ष्य
Keywords:
बनारस, लोक कला, धर्म, संस्कृति, पूजा, मिट्टी, त्यौहार, कलात्मक पक्ष, काशी, तीन मान्यताAbstract
लोक चित्रकला के रूप में शैलीगत परिवर्तन बहुत कम और अत्यन्त धीरे धीरे होता है। लोक कला का मूल धर्म है। इष्ट देवता की पूजा के लिए उनके द्वारा बनाई गयी मिट्टी की आकृतियाँ पर्वों या त्यौहारों पर घर के लोगों द्वारा आम के पत्तों से बन्दनवार और तरह-तरह के फूलों से की जाने वाली घर की सजावट उनके कलात्मक पक्ष की ओर सकेंत करते हैं। लोक चित्रों में कोहबर, नागपंचमी, गोधना, चैक पूरना, हाथ का थापा, दीपावली आदि प्रमुख है। बनारस के इतिहास में वैदिक विश्वासांे के साथ-साथ नाग और यक्ष पूजा का बोलबाला देखते हैं। भारत वर्ष में काशी को ही सर्वाधिक पवित्र हिन्दू माना जाता रहा है। और यहां की तीन मान्यता प्रमुख है।Published
                                                  2022-07-01
                                                
            How to Cite
[1]
“बनारस की लोक कला धर्म एवं संस्कृति के परिपेक्ष्य में: बनारस की लोक कला और संस्कृति: एक परिपेक्ष्य”, JASRAE, vol. 19, no. 4, pp. 664–667, Jul. 2022, Accessed: Nov. 04, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/14025
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[1]
“बनारस की लोक कला धर्म एवं संस्कृति के परिपेक्ष्य में: बनारस की लोक कला और संस्कृति: एक परिपेक्ष्य”, JASRAE, vol. 19, no. 4, pp. 664–667, Jul. 2022, Accessed: Nov. 04, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/14025
						
              





