गुप्त काल में विज्ञान व प्रोद्योगिकी के विभिन्न चरण और उनका योगदान
The Golden Age of Science and Technology in the Gupta Period
Keywords:
गुप्त काल, विज्ञान, प्रोद्योगिकी, मूर्तिकला, स्थापत्य, चित्रकला, साहित्य, कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिरAbstract
गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग माना जाता है। इसे भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, धार्मिक सहिष्णुता, आर्थिक समृद्धि तथा शासन व्यवस्था की स्थापना काल के रूप में जाना जाता है। मूर्तिकला के क्षेत्र में देखें तो गुप्त काल में भरहुत, अमरावती, सांची तथा मथुरा कला की मूर्तिर्यों में कुषाण कालीन प्रतीकों तथा प्रारंभिक मध्यकालीन युग की नग्नता के मध्य अच्छे संश्लेषण तथा जीवतंता का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करती है। स्थापत्य के क्षेत्र में देवगढ़ का दशावतार मंदिर, भूमरा का शिव मंदिर बोध गया और सांची के उत्कृष्ट स्तूपों का निर्माण हुआ। चित्रकला के क्षेत्र में अजंता, एलोरा तथा बाघ की गुफाओं में की गई, चित्रकारी तथा फ्रेस्को चित्रकारी परिष्कृत कला के उदाहरण हैं। साहित्य के क्षेत्र में एक ओर कालिदास ने मेधदूतम्, ऋतुसंहार तथा अभिज्ञान शांकुतलम् की रचना की तो दूसरी ओर नाटक तथा कविता लेखन में एक नये युग की युरुआत हुई। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में आर्यभट्ट ने जहाँ एक ओर पृथ्वी की त्रिज्या की गणना की और सूर्य-केंद्रित ब्रह्माण्ड का सिद्धांत दिया वहीं दूसरी ओर वराहमिहिर ने चन्द्र कैलेण्डर के शुरुआत की। गुप्तकाल में विज्ञान प्रौद्योगिकी से लेकर साहित्य, स्थापत्य तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में नये प्रतिमानों की स्थापना की गई जिससे यह काल भारतीय इतिहास में “स्वर्ण युग” के रूप में जाना गया।Published
2011-07-01
How to Cite
[1]
“गुप्त काल में विज्ञान व प्रोद्योगिकी के विभिन्न चरण और उनका योगदान: The Golden Age of Science and Technology in the Gupta Period”, JASRAE, vol. 2, no. 1, pp. 1–6, Jul. 2011, Accessed: Jun. 08, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/3945
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Articles
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[1]
“गुप्त काल में विज्ञान व प्रोद्योगिकी के विभिन्न चरण और उनका योगदान: The Golden Age of Science and Technology in the Gupta Period”, JASRAE, vol. 2, no. 1, pp. 1–6, Jul. 2011, Accessed: Jun. 08, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/3945