प्राचीन भारतीय दंड व्यवस्था
भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में प्राचीन दण्ड व्यवस्था का महत्व
Keywords:
प्राचीन भारतीय दंड व्यवस्था, न्यायिक क्षेत्र, दण्ड, समाज, सामाजिक क्रिया-कलापAbstract
प्राचीन भारतीय न्यायिक क्षेत्र में दण्ड व्यवस्था को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। तत्कालीन समाज में जीवन के क्रिया-कलापों में भी दण्ड का प्रमुख योगदान था, इसके पृष्ठभूमि में अनेक तत्व विद्यमान है। मूलतः दण्ड का सिद्धान्त अत्यन्त प्राचीन है, क्योंकि इसी के आधार पर समाज एवं सामाजिक क्रिया-कलापों का संचालन होता है। इसी दृष्टिकोण से यह कथनीय है कि दण्ड का न केवल मानव जीवन में बल्कि समाज एवं राष्ट्र के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। न्यायिक दृष्टिकोण से भारत के सांस्कृतिक इतिहास का अनुशीलन करने से यह तथ्य प्रतिबिम्बित होता है कि मनुष्य के जीवन में प्रारम्भ से ही एक आदर्श एवं मर्यादा की स्थापना की गयी जिसका उल्लंघन करने पर दण्ड ही एकमात्र समाधान दृष्टिगोचर होता है।Published
2011-07-01
How to Cite
[1]
“प्राचीन भारतीय दंड व्यवस्था: भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में प्राचीन दण्ड व्यवस्था का महत्व”, JASRAE, vol. 2, no. 1, pp. 1–8, Jul. 2011, Accessed: Jun. 08, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/3946
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Articles
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[1]
“प्राचीन भारतीय दंड व्यवस्था: भारतीय सांस्कृतिक इतिहास में प्राचीन दण्ड व्यवस्था का महत्व”, JASRAE, vol. 2, no. 1, pp. 1–8, Jul. 2011, Accessed: Jun. 08, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/3946