Bina Koi Uttam Shiksha Nikle Jo Naatak Khela Gaya Gaya Iska Parihaspriya Phal
बिना किसी काव्य कल्पना के उत्तम शिक्षा निकले नाटक
Keywords:
उत्तम शिक्षा, नाटक, बांध, पूर्वोक्त, परिहासप्रिय, सहायक, भारतभूषण, खेला, बंगालियों, हिन्दुस्तानियोंAbstract
बनारस में बंगालियों और हिन्दुस्तानियों ने मिलकर एक छोटा सा नाटक समाज दशाश्वमेध घाट पर नियत किया है, जिसका नाम हिंदू नैशनल थिएटर है। दक्षिण में पारसी और महाराष्ट्र नाटक वाले प्रायः अन्धेर नगरी का प्रहसन खेला करते हैं, किन्तु उन लोगों की भाषा और प्रक्रिया सब असंबद्ध होती है। ऐसा ही इन थिएटर वालों ने भी खेलना चाहा था और अपने परम सहायक भारतभूषण भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र से अपना आशय प्रकट किया। बाबू साहब ने यह सोचकर कि बिना किसी काव्य कल्पना के व बिना कोई उत्तम शिक्षा निकले जो नाटक खेला ही गया तो इसका फल क्या, इस कथा को काव्य में बाँध दिया। यह प्रहसन पूर्वोक्त बाबू साहब ने उस नाटक के पात्रों के अवस्थानुसार एक ही दिन में लिख दिया है। आशा है कि परिहासप्रिय रसिक जन इस से परितुष्ट होंगे।Published
2012-01-01
How to Cite
[1]
“Bina Koi Uttam Shiksha Nikle Jo Naatak Khela Gaya Gaya Iska Parihaspriya Phal: बिना किसी काव्य कल्पना के उत्तम शिक्षा निकले नाटक”, JASRAE, vol. 3, no. 5, pp. 0–0, Jan. 2012, Accessed: Jun. 15, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/4208
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Articles
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[1]
“Bina Koi Uttam Shiksha Nikle Jo Naatak Khela Gaya Gaya Iska Parihaspriya Phal: बिना किसी काव्य कल्पना के उत्तम शिक्षा निकले नाटक”, JASRAE, vol. 3, no. 5, pp. 0–0, Jan. 2012, Accessed: Jun. 15, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/4208