साहित्य और दर्शन का सम्बन्ध

साहित्य का उद्भव और महत्व

Authors

  • Dr. Saryu Sharma

Keywords:

साहित्य, दर्शन, सम्बन्ध, भाव, विचार

Abstract

‘‘साहित्य मानव के भावों और विचारों का कोष है। आदिकाल से मानव अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने का प्रयास करता रहा है। दैनदिन आवश्यकताओं के अतिरिक्त मानव हृदय की यह सहज आकांक्षा भी रही है कि वह अपने भीतर उठने वाले भावों तथा विचारों को दूसरों तक प्रेषित करे। साहित्य का उद्भव इस आत्मप्रेषण की मौलिक प्राकृति से होता है। इसी आत्मप्रेषण प्रवृति का यह प्रणवीय स्थूल रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। कि साहित्य में इन दोनों की महत्ता है। बुद्धितत्व का साहित्य में उतना ही महत्व है जितना अनुभूतित्व का।

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Published

2014-10-01

How to Cite

[1]
“साहित्य और दर्शन का सम्बन्ध: साहित्य का उद्भव और महत्व”, JASRAE, vol. 8, no. 16, pp. 1–2, Oct. 2014, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/5483

How to Cite

[1]
“साहित्य और दर्शन का सम्बन्ध: साहित्य का उद्भव और महत्व”, JASRAE, vol. 8, no. 16, pp. 1–2, Oct. 2014, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/5483