अनुसंधान में अनुभव का महत्व और सामाजिक सरोकार में उसकी भूमिका
उच्च शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सरोकार को स्थापित करने का महत्व
Keywords:
अनुसंधान में अनुभव, सामाजिक सरोकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, न्यूनतम शैक्षिक योग्यता, उच्च शिक्षाAbstract
सामाजिक, स्वैच्छिक, सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्थाओं में कार्यरत अनुभवी व्यक्तियों को पीएचडी अथवा अनुसंधान हेतु अवसर प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारत सरकार द्वारा वर्तमान में निर्धारित न्यूनतम शैक्षिक योग्यता संबंधित विषय में 55 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को परिवर्तित कर उच्च शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सरोकार को स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान जनहित में आवश्यक है। उच्च शिक्षा में सुधारों हेतु उक्त आलेख प्रस्तुत है।Published
2016-04-01
How to Cite
[1]
“अनुसंधान में अनुभव का महत्व और सामाजिक सरोकार में उसकी भूमिका: उच्च शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सरोकार को स्थापित करने का महत्व”, JASRAE, vol. 11, no. 21, pp. 0–0, Apr. 2016, Accessed: Aug. 06, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/5963
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Section
Articles
How to Cite
[1]
“अनुसंधान में अनुभव का महत्व और सामाजिक सरोकार में उसकी भूमिका: उच्च शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सरोकार को स्थापित करने का महत्व”, JASRAE, vol. 11, no. 21, pp. 0–0, Apr. 2016, Accessed: Aug. 06, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/5963