संगीत ग्रंथों में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था - एक मीमांसा
भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था का अध्ययन
Keywords:
संगीत ग्रंथ, श्रुति, ध्वनि श्रुति, सप्तक, नादAbstract
श्रुति का अर्थ है सुनना। जो कुछ कानों से सुना जाता है, वह सब ध्वनि श्रुति है। जैसे गदहे की गड़गड़ाहट, पटाखों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट आदि। यह इंगित करता है कि सप्तक के सात स्वरों के भीतर अनंत ध्वनियाँ नाद हैं। हाँ, बेशक, सप्तक के एक स्वर से दूसरे स्वर में कई ध्वनियाँ हो सकती हैं, लेकिन उन्हें सुनकर, यह भेद करना काफी कठिन है कि यह कौन सी ध्वनि स्पष्ट रूप से है। उसके बाद उन्हें गाना या बजाना व्यावहारिक रूप से कठिन है। इस लेख में संगीत ग्रंथों में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था का अध्यँयन किया गया हैPublished
2016-04-01
How to Cite
[1]
“संगीत ग्रंथों में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था - एक मीमांसा: भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था का अध्ययन”, JASRAE, vol. 11, no. 21, pp. 1–3, Apr. 2016, Accessed: Aug. 06, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/5990
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Articles
How to Cite
[1]
“संगीत ग्रंथों में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था - एक मीमांसा: भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रतिपादित श्रुति व्यवस्था का अध्ययन”, JASRAE, vol. 11, no. 21, pp. 1–3, Apr. 2016, Accessed: Aug. 06, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/5990