संगीत और योग का अन्तर्सम्बन्ध
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Keywords:
संगीत, योग, संगीत रत्नाकर, निरूपण, गुदा, लिंग, नाड़ियाँ, मूलाधार, चक्र, आधार पद्म, कुण्डलिनी, देवी, सहजानन्द, ब्रह्म-शक्ति, उपास्य भगवती शारदा, सरस्वतीAbstract
‘‘संगीत रत्नाकर’’ में योग का निरूपण इस प्र्रकार किया गया है- ‘‘गुदा से दो अंगुल उपर लिंग से दो अंगुल नीचे, शरीर की सर्व नाड़ियों का मूल है, इस स्थान को मूलाधार कहते हैं। यहां पर प्रथम चक्र है, इसे आधार पद्म कहते है। इसी चक्र पर नाड़ियों के झुण्ड में घिरकर कुण्डलिनी अपने तेज से ही प्रकाषित होती रहती है। इस कुण्डलिनी को देवी के जागृत होने पर सहजानन्द प्राप्त होता है। कुण्डलिनी ब्रह्म-शक्ति है और यही संगीत की उपास्य भगवती शारदा (सरस्वती) है’’।Published
2017-01-01
How to Cite
[1]
“संगीत और योग का अन्तर्सम्बन्ध: -”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 311–312, Jan. 2017, Accessed: Aug. 02, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6255
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Articles
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[1]
“संगीत और योग का अन्तर्सम्बन्ध: -”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 311–312, Jan. 2017, Accessed: Aug. 02, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6255