महर्षि दयानन्द की परम्परा में हिंदी पत्र- पत्रिकाओ का हिंदी भाषा में योगदान

महर्षि दयानन्द के नये सिद्धांतों और पत्रकारिता के प्रमाणिकता

Authors

  • Asha .
  • Dr. Govind Dwivedi

Keywords:

महर्षि दयानन्द, पत्रिकाओ, हिंदी भाषा, साहित्य, पत्रकरिता, पत्रकारिता, सत्यता, निभीकता, प्रमाणिकता

Abstract

महर्षि के अनुयायीयों ने महर्षि दयानन्द के विचारों से उर्जा प्राप्त कर थोड़े ही समय में हिन्दी भाषा के साहित्य और पत्रकरिता के कोष को अक्षत रूप से भर दिया। पत्रकारिता के विकास के साथ-साथ पत्रकारिता के नये सिद्धांतों का भी उद्भि हुआ। महर्षि दयानन्द की परम्परा में पोषित पत्रकारिता के सार्वभौमिक और नीतिगत सिद्धान्त थे- पत्रकारिता में सत्यता, निभीकता और प्रमाणिकता। महर्षि दयानन्द के सतचन में ये तीनों ही सिद्धान्त मौलिक रूप में विद्ममान थे जो अनुवांशिकता के सिद्धांतानुसार उनके अनुयायिओं में भी पहुँचे।

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Published

2017-01-01

How to Cite

[1]
“महर्षि दयानन्द की परम्परा में हिंदी पत्र- पत्रिकाओ का हिंदी भाषा में योगदान: महर्षि दयानन्द के नये सिद्धांतों और पत्रकारिता के प्रमाणिकता”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 574–579, Jan. 2017, Accessed: Aug. 07, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6300

How to Cite

[1]
“महर्षि दयानन्द की परम्परा में हिंदी पत्र- पत्रिकाओ का हिंदी भाषा में योगदान: महर्षि दयानन्द के नये सिद्धांतों और पत्रकारिता के प्रमाणिकता”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 574–579, Jan. 2017, Accessed: Aug. 07, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6300