रस-सिद्धान्त का अन्य काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों के साथ सम्बन्ध

अन्य सम्प्रदायों के साथ रस-सिद्धान्त की चर्चा

Authors

  • Hargian .
  • Gobind Dawedi

Keywords:

रस-सिद्धान्त, काव्यशास्त्रीय सिद्धान्त, वातावरण, समकालीन काव्यशास्त्रीय सिद्धान्त, ध्वनि, रीति, अलंकार, वक्रोक्ति, औचित्य

Abstract

काव्यशास्त्रा के विद्यार्थी को रस-सिद्धान्त की जानकारी के लिए यह जानना आवश्यक है कि रस के साथ वातावरण या समकालीन काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों (वादों) का भी ज्ञान हो। इस अध्याय में रस का अन्य सम्प्रदायों ध्वनि और रस, रीति और रस, अलंकार और रस, वक्रोक्ति और रस तथा औचित्य और रस संबंधों पर चर्चा की गई है।

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Published

2017-01-01

How to Cite

[1]
“रस-सिद्धान्त का अन्य काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों के साथ सम्बन्ध: अन्य सम्प्रदायों के साथ रस-सिद्धान्त की चर्चा”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 947–951, Jan. 2017, Accessed: Aug. 07, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6365

How to Cite

[1]
“रस-सिद्धान्त का अन्य काव्यशास्त्रीय सिद्धान्तों के साथ सम्बन्ध: अन्य सम्प्रदायों के साथ रस-सिद्धान्त की चर्चा”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 947–951, Jan. 2017, Accessed: Aug. 07, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6365