शिवप्रसाद सिंह के साहित्य में चित्रित समाज में पारिवारिक व्यवस्था
Exploring Social Aspects in the Literature of Shivprasad Singh
Keywords:
शिवप्रसाद सिंह, साहित्य, समाज, पारिवारिक व्यवस्था, सामाजिक जीवन, ग्रामीण जीवन, विविध पहलुओं, लेखनीAbstract
शिवप्रसाद सिंह ने सामाजिक व्यवस्था के विविध पक्षों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया है। सामाजिक जीवन के विविध पहलुओं परिवार व्यवस्था, जाति प्रथा, नारी स्थिति, जमींदारों की स्थिति, दहेज, विवाह इत्यादि पर अपनी लेखनी चलाई है। डॉ. सिंह के कथा सृजन का मूल क्षेत्र ग्रामीण जीवन है। इन्होंने ग्रामीण जीवन की समस्त विदू्रपताओं को उनके नग्नयथार्थ रूप में उघाड़ने की निर्ममता की है वहीं दूसरी ओर भावी जीवन के प्रति इनके साहित्य में आस्था के संकेत भी मिलते हैं।Published
2017-01-01
How to Cite
[1]
“शिवप्रसाद सिंह के साहित्य में चित्रित समाज में पारिवारिक व्यवस्था: Exploring Social Aspects in the Literature of Shivprasad Singh”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 1378–1381, Jan. 2017, Accessed: Aug. 07, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6432
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Articles
How to Cite
[1]
“शिवप्रसाद सिंह के साहित्य में चित्रित समाज में पारिवारिक व्यवस्था: Exploring Social Aspects in the Literature of Shivprasad Singh”, JASRAE, vol. 12, no. 2, pp. 1378–1381, Jan. 2017, Accessed: Aug. 07, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6432