रामचरितमानस में पर्यावरणीय सम्पन्नता
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Keywords:
रामचरितमानस, पर्यावरणीय सम्पन्नता, गोस्वामी तुलसीदास, वृक्षारोपण, औषधीय तत्व, जैविक विविधता, वैयक्तिक वृत्ति, प्रतिभा, प्रकृति, पर्यावरण, प्रगतिAbstract
रामचरितमानस में पर्यावरणीय सम्पन्न्ता के कतिपय संक्षिप्त संकेतों का अवलोकन करें तो श्रद्धेय गोस्वामी तुलसीदास जी का वृक्षारोपण को एक स्वाभाविक कार्य मानने एवं ‘मानस’ में वर्णित प्रकृति में उपलब्ध औषधीय तत्वों का प्रतीकात्मक रूप तथा जैविक विविधता एवं मानस में वैयक्तिक वृत्ति और पर्यावरण का समन्व्य आदि बिन्दु गोस्वामीजी की विलक्षण प्रतिभा को उजागर करते है। इन्ही बिन्दुओं की गहराई प्रकृति, पर्यावरण और प्रगति की ओर भी संकेत करती हैPublished
2017-04-01
How to Cite
[1]
“रामचरितमानस में पर्यावरणीय सम्पन्नता: -”, JASRAE, vol. 13, no. 1, pp. 546–552, Apr. 2017, Accessed: Jul. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6595
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Articles
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[1]
“रामचरितमानस में पर्यावरणीय सम्पन्नता: -”, JASRAE, vol. 13, no. 1, pp. 546–552, Apr. 2017, Accessed: Jul. 25, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6595