वैदिक दर्शन मे व्यक्तित्व निर्माण की अवधारणा
Exploring the Concept of Personality Development in Vedic Philosophy
Keywords:
वैदिक दर्शन, व्यक्तित्व निर्माण, सोम, वनस्पति-जगत्, देवता, सर्वशक्तिमान, पूर्णतः, विष्णु, सूर्य, उषाAbstract
वेदों मे निर्माण वाद की बात को ‘सोम’ नामक देवता के द्वारा सिद्ध किया गया है। सोम को स्फूर्ति (God of Inspiration) का देवता माना गया है सोम देवता को ही वनस्पति-जगत् की अधिपति, सर्वशक्तिमान, पूर्णतः नीरोग करने वाला और अमरत्व प्रदान करने वाला माना है इसी प्रकार विष्णु , सूर्य, उषा, अग्नि, पूषा इत्यादि देवताओं को भी जगत के विभिन्न तत्वों व वस्तुओं का उत्त्पतिकत्र्ता बताया गया है।यही से दर्शन के प्रति ऋषियों की जिज्ञासा को ओर बढ़ावा मिलने लगा। मुख्य शब्दः वेद, देवता, सर्वशक्तिमान, निर्माण, पूर्णतः इत्यादि।Published
2017-04-01
How to Cite
[1]
“वैदिक दर्शन मे व्यक्तित्व निर्माण की अवधारणा: Exploring the Concept of Personality Development in Vedic Philosophy”, JASRAE, vol. 13, no. 1, pp. 890–895, Apr. 2017, Accessed: Jul. 24, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6652
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Articles
How to Cite
[1]
“वैदिक दर्शन मे व्यक्तित्व निर्माण की अवधारणा: Exploring the Concept of Personality Development in Vedic Philosophy”, JASRAE, vol. 13, no. 1, pp. 890–895, Apr. 2017, Accessed: Jul. 24, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6652