दक्षिण शैली की पल्लव काल एवं राष्ट्रकूट कालीन कला की प्रतिमाओं में चित्रित नारी
Exploring the Depiction of Women in South Indian and Rashtrakuta Sculptures
Keywords:
दक्षिण शैली, पल्लव काल, राष्ट्रकूट कालीन कला, चित्रित नारी, हिन्दू मूर्तिकला, स्थापत्य-वास्तु, संस्कृतिक-गौरव, आध्यात्मिक कला-साधना, मूर्ति, सामाजिक दृष्टि, धार्मिक प्रतीक, प्रेम, श्रद्धा, निष्ठा, तृप्ति, संतोषAbstract
भारतीय कला का संसार में सर्वोत्तम स्थान है। भारतीय कला भावना-प्रधान है। कला मस्तिष्क की अपेक्षा हस्त-लाघव से अधिक संबंध रखती है। कलाकार मिट्टी को ऐसा आकार प्रदान कर देते हैं जो सजीव प्रतीत होता है। हिन्दू मूर्तिकला बहुत ही कुशल कारीगिरी का संजीव चित्रण है। भारत में मूर्तियों की बनावट बहुत ही उपयुक्त ढंग से की गई है। मूर्ति स्थापत्य-वास्तु की आश्रित कला है। कला के माध्यम से किसी देश के सांस्कृतिक-गौरव एवं उसके विकास तथा उत्थान का परिचय मिलता है। भारत में कला का विषय-आत्मपरक है। भारतीय कला को परखने एवं उसे आत्मसात करने के लिए सूक्ष्म दृष्टि चाहिए। कारण यह है कि कलाकार सत्य का उपासक होता है। अतः आध्यात्मिक कला-साधना द्वारा भारतीय कला उनकी लोक कल्याण कला अमर है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ ही मूर्ति की परिकल्पना की गई। मूर्ति की परिकल्पना के दो मुख्य आधार थे सामाजिक एवं धार्मिक। सामाजिक दृष्टि से सर्वप्रथम मनुष्य ने मन-बहलाव के लिए खिलौने का रूप दिया। फिर हजारों वर्षों बाद जब धर्म का उदय हुआ, तब धर्म ने उस सामाजिक प्रतीक को धार्मिक संबंध का माध्यम बना दिया। प्रेम, श्रद्धा, निष्ठा, तृप्ति एवं संतोष का भाव विकसित होने पर मूर्ति का प्रतीक अधिक व्यापक और महत्त्वपूर्ण होता चला गया।Published
2017-04-01
How to Cite
[1]
“दक्षिण शैली की पल्लव काल एवं राष्ट्रकूट कालीन कला की प्रतिमाओं में चित्रित नारी: Exploring the Depiction of Women in South Indian and Rashtrakuta Sculptures”, JASRAE, vol. 13, no. 1, pp. 1285–1290, Apr. 2017, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6723
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Articles
How to Cite
[1]
“दक्षिण शैली की पल्लव काल एवं राष्ट्रकूट कालीन कला की प्रतिमाओं में चित्रित नारी: Exploring the Depiction of Women in South Indian and Rashtrakuta Sculptures”, JASRAE, vol. 13, no. 1, pp. 1285–1290, Apr. 2017, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6723