मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन खान-पान, भवन एवं वेशभूषा

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Authors

  • Ravinder Kumar
  • Dr. Bribal .

Keywords:

मुगलकाल, सांस्कृतिक जीवन, खान-पान, भवन, वेशभूषा, आवश्यकताएं, संशोधन-परिवर्धन, रहन-सहन, बढ़ता चला, विभिन्न व्यंजन

Abstract

खान-पान एवं भोजन जीवन की उन मूलभूत आवश्यकताओं में से हैं। जिसमें संशोधन-परिवर्धन के प्रयास प्रत्येक युग में किए जाते रहे हैं। खान-पान, एवं भोजन व्यवस्था भी किसी युग के रहन-सहन, अथवा संस्कृति के स्तर का सूचक होता है। यूँ जहां प्रारम्भ में मानव ने कच्चे फल और कन्दमूल को खान-पान के रूप में उपयोग किया था परिस्थितियों में बदलाव के साथ-साथ कालान्तर में भोजन के प्रति दृष्टिकोण भी बदला और मानव का ध्यान इन आवश्यकताओं से बढ़ कर विलास और स्वादिष्ट व्यंजनों की तरफ गया और खान-पान में विभिन्न तरह के व्यंजनों का समावेश बढ़ता चला गया।

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Published

2017-07-01

How to Cite

[1]
“मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन खान-पान, भवन एवं वेशभूषा: -”, JASRAE, vol. 13, no. 2, pp. 374–376, Jul. 2017, Accessed: Jun. 01, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6821

How to Cite

[1]
“मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन खान-पान, भवन एवं वेशभूषा: -”, JASRAE, vol. 13, no. 2, pp. 374–376, Jul. 2017, Accessed: Jun. 01, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6821