समकालीन हिन्दी उपन्यास में साम्प्रदायिकता

भावनाएँ और आंतरिक जीवन का प्रतिबिम्ब: समकालीन हिन्दी उपन्यास

Authors

  • Manoj Bala Chauhan
  • Dr. Harish Chandra Pathak

Keywords:

समकालीन हिन्दी उपन्यास, साम्प्रदायिकता, साहित्य जीवन, अभिव्यक्ति, लेखा-जोखा, चित्रांकन

Abstract

साहित्य जीवन की संचित अनुभूतियो का प्रतिबिम्ब होता है कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, संस्मरण इत्यादि के माध्यम से मनुष्य अपनी आंतरिक भावनाओ को अभिव्यक्त करता है समाज में घटने वाली घटनाओ से रचनाकार आंदोलित होता है, और शब्दों के माध्यम से उसे अंकित कर वापस समाज को दे देता है सह्रदय पाठक इन भावनाओ के साथ जुड़ा हुआ महसूस करता है उपन्यास की खासियत यह है, कि इसमे मनुष्य के पुरे जीवन का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जा सकता है उपन्यास का कैनवास काफी बड़ा होता है, जिसमे जीवन की कई घटनाओ का चित्रांकन एक साथ हो सकता है उपन्यास की ओर मेरे आकृष्ट होने का कारण भी यही है

Downloads

Published

2017-07-01

How to Cite

[1]
“समकालीन हिन्दी उपन्यास में साम्प्रदायिकता: भावनाएँ और आंतरिक जीवन का प्रतिबिम्ब: समकालीन हिन्दी उपन्यास”, JASRAE, vol. 13, no. 2, pp. 570–572, Jul. 2017, Accessed: Jun. 01, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6858

How to Cite

[1]
“समकालीन हिन्दी उपन्यास में साम्प्रदायिकता: भावनाएँ और आंतरिक जीवन का प्रतिबिम्ब: समकालीन हिन्दी उपन्यास”, JASRAE, vol. 13, no. 2, pp. 570–572, Jul. 2017, Accessed: Jun. 01, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6858