21वीं सदी के पहले दशक की हिन्दी कविताः परिस्थितियाँ और प्रतिनिधि कवि
The Exploration of Modern Intellectual Sensibilities in Hindi Poetry of the First Decade of the 21st Century
Keywords:
हिन्दी कविता, अज्ञेय, हिन्दी साहित्य, प्रयोगवाद, छायावादAbstract
हिन्दी साहित्य में आधुनिक बौद्धिक संवेदना का सूत्रपात करनेवाले रचनाकारों में अज्ञेय का नाम शीर्ष पर है। वे ऐसे अनन्य रचनाकार हैं जो कविता के अलावा उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्त, डायरी, संस्मरण, निबन्ध, अनुवाद, सम्पादन-संयोजन में ठहराव को तोडकर नयी राहों के अन्वेषी रहे हैं। अपने समय में शायद ही किसी रचनाकार ने साहित्य और कलाओं तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में इतने प्रयोग किए हों जितने अज्ञेय ने। वे मानते रहे ‘प्रयोग’ का कोई श्वाद’ नहीं है तथापि वे प्रयोगवाद के पुरोधा रहे। हिन्दी-साहित्य का पूरा छायावादोत्तर दौर उनकी प्रयोग-धर्मी अवधारणाओं से बहुत दूर तक पे्ररित प्रभावित हुआ है। ‘तारसप्तक’ की भूमिका हिन्दी-साहित्य में नवीन अवधारणाओं का घोषणा-पत्र कही जा सकती है जिसने परम्परा, आधुनिकता, प्रयोग-प्रगति, काव्य-सत्य, कवि का सामाजिक दायित्व, काव्य-शिल्प, काव्य-भाषा, छन्द आदि की तमाम बहसों को पहली बार उठाकर साहित्यालोचन को मौलिक स्वरूप दिया। पहले ‘प्रतीक’ फिर ‘नया प्रतीक’ तथा ‘श्वा’ का सम्पादन करते हुए उन्होंने अनेक नयी प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर दिया। अपने परवर्ती अनेक रचनाकारों पर उनका अमिट प्रभाव देखा जा सकता है। अज्ञेय के साहित्य-चिन्तन की सार्थकता इस विचार में है कि वह समकालीन चिन्ताओं, प्रश्नाकुलताओं और चुनौतियों को ही नहीं, नयी सर्जनात्मक सम्भावनाओं की ओर हमें उन्मुख करता है। भारत और पश्चिम के साहित्य-चिन्तन की परम्पराओं पर गहन चिन्तन करने वाले अज्ञेय में एक उजली आधुनिक भारतीयता का निवास है-एक ऐसी भारतीयता जो मानव को स्वाधीन-चिन्तन और मानव-मुक्ति का सन्देश देती है।Published
2017-07-01
How to Cite
[1]
“21वीं सदी के पहले दशक की हिन्दी कविताः परिस्थितियाँ और प्रतिनिधि कवि: The Exploration of Modern Intellectual Sensibilities in Hindi Poetry of the First Decade of the 21st Century”, JASRAE, vol. 13, no. 2, pp. 630–634, Jul. 2017, Accessed: Jun. 01, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6872
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Section
Articles
How to Cite
[1]
“21वीं सदी के पहले दशक की हिन्दी कविताः परिस्थितियाँ और प्रतिनिधि कवि: The Exploration of Modern Intellectual Sensibilities in Hindi Poetry of the First Decade of the 21st Century”, JASRAE, vol. 13, no. 2, pp. 630–634, Jul. 2017, Accessed: Jun. 01, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6872