भारतीय रेडियो नाटक का उद्भव एवं विकास
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Keywords:
भारतीय रेडियो नाटक, उद्भव, विकास, रेडियो से प्रसारित नाटक, अभिधानAbstract
किसी भी भाषा के रेडियो नाटक का अध्ययन करने से पूर्व यह आवश्यक है कि रेडियो नाटक के सम्बन्ध में व्याप्त कुछ एक आरोपों तथा भ्रान्तियों का निराकरण किया जाए। एतद् विषयक सबसे प्रमुख आरोप है कि दृश्य तथा मंच के अभाव में रेडियो से प्रसारित नाटक किस आधार पर कहा जाए? डा0 चन्द्रशेखर को इस विधा के साथ नाटक जोड़ना ही मान्य नहीं। वे इसके लिए किसी ऐसे अभिधान का पूर्ण समर्थन नहीं करते जिसमें शब्द का संयोजन हो।Published
2017-10-06
How to Cite
[1]
“भारतीय रेडियो नाटक का उद्भव एवं विकास: -”, JASRAE, vol. 14, no. 1, pp. 215–225, Oct. 2017, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6979
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Articles
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[1]
“भारतीय रेडियो नाटक का उद्भव एवं विकास: -”, JASRAE, vol. 14, no. 1, pp. 215–225, Oct. 2017, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/6979