मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन, मनोरंजन, त्यौहार एवं शिक्षा

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Authors

  • Ravinder Kumar
  • Dr. Birbal .

Keywords:

मनोरंजन, मुगलकाल, त्यौहार, शिक्षा, सांस्कृतिक जीवन

Abstract

मनोरंजन सामाजिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधनों एवं समय समय पर मनाये जाने वाले त्यौहारों की दृष्टि से मुगलकाल को आनन्द व खुशी का काल कहा जा सकता है। इस काल के मनोरंजन के साधनों की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इनमें से अनेक युग की प्रवृŸिायों के अनुरूप अपने स्वरूप में सैनिक व साहसिक गुणों से प्रभावित लगते हैं। ऐसे मनोरंजनों में चैगान, घुड़दौड़, शिकार, पशु या पक्षियों की लड़ाई आदि प्रमुख है जिनका सम्बन्ध मुख्यतः अभिजात वर्ग से था। कुछ अन्य यथा चैपड़, ताश, कबूतर व पतंग उड़ाना, कुश्ती आदि का सम्बंध समाज के धनी, निर्धन सभी वर्गों से था। समाज में विशेषकर उच्च वर्ग में समृद्धि का प्राचुर्य वैभव विलास, विभिन्न प्रकार के मनोरंजन और क्रियाएं विद्यमान थी। सम्पन्न वर्गों में शान-शौकत की अधिकता थी और उसी के अनुरूप अनेक मनोरंजन के साधनों का प्रचलन हो गया था। इस तरह सभी सुख सुविधाओं से युक्त प्रासादों में दास-दासियाँ सदैव सेवा के लिए तत्पर रहती थी।

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Published

2017-10-06

How to Cite

[1]
“मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन, मनोरंजन, त्यौहार एवं शिक्षा: -”, JASRAE, vol. 14, no. 1, pp. 333–336, Oct. 2017, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7001

How to Cite

[1]
“मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन, मनोरंजन, त्यौहार एवं शिक्षा: -”, JASRAE, vol. 14, no. 1, pp. 333–336, Oct. 2017, Accessed: Jul. 23, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7001