भीष्म साहनी के साहित्य में नारी-चेतना: पारिवारिक सन्दर्भ
भीष्म साहनी के साहित्य में नारी के परिवारिक सन्दर्भ
Keywords:
भीष्म साहनी, साहित्य, नारी-चेतना, पारिवारिक सन्दर्भ, नारीAbstract
नारी हमेशा से ही पुरुष की प्रेरणा रही है। नारी का शारीरिक सौन्दर्यअगर पुरुष को लुभाता है, इसकी शारीरिक आवश्यकता की पूर्ति करता है तोनारी का आत्मिक सौन्दर्य पुरुष के कार्यों की प्रेरणा भी बनता है। नारी पुरुष कोनिराशा के क्षणों में आशा देती है, दुःख में दिलासा देती है और उसके कर्म मेंउत्साह भरती है।Published
2018-01-01
How to Cite
[1]
“भीष्म साहनी के साहित्य में नारी-चेतना: पारिवारिक सन्दर्भ: भीष्म साहनी के साहित्य में नारी के परिवारिक सन्दर्भ”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 703–708, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7289
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Articles
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[1]
“भीष्म साहनी के साहित्य में नारी-चेतना: पारिवारिक सन्दर्भ: भीष्म साहनी के साहित्य में नारी के परिवारिक सन्दर्भ”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 703–708, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7289