प्रोक्तीय दृष्टि से निराला और पंत के काव्य का तुलनात्मक अध्ययन
A Comparative Study of the Poetry of Nirala and Pant from a Prokti Perspective
Keywords:
प्रोक्तीय दृष्टि, निराला, पंत, काव्य, तुलनात्मक अध्ययन, शैलीविज्ञान, शैली, ढंग, खाने-पीने, बोलनेAbstract
‘शैलीविज्ञान’ जैसी नवीन अवधारणा को समझने के लिये ‘शैली के विषय में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। साधारण शब्दों में शैली का अर्थ है-ढंग या तरीका। जैसे खाने-पीने, बोलने, लिखने आदि का ढंग। शैली शब्द को लेकर अनेक पाश्चात्य तथा भारतीय विचारकों में मतभेद रहा है। कुछ विचारक ‘शैली’ को पाश्चात्य मानते हैं तो कुछ इसे प्राचीन भारतीय साहित्य से जोड़ते हैं।Published
2018-01-01
How to Cite
[1]
“प्रोक्तीय दृष्टि से निराला और पंत के काव्य का तुलनात्मक अध्ययन: A Comparative Study of the Poetry of Nirala and Pant from a Prokti Perspective”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1173–1178, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7364
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Articles
How to Cite
[1]
“प्रोक्तीय दृष्टि से निराला और पंत के काव्य का तुलनात्मक अध्ययन: A Comparative Study of the Poetry of Nirala and Pant from a Prokti Perspective”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1173–1178, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7364