कुबेरनाथ राय के साहित्य में धार्मिक मान्यताएँ
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Keywords:
कुबेरनाथ राय, साहित्य, धार्मिक मान्यताएँ, पुण्य, लोक, परलोक, महत्त्व, यज्ञ, पाठ, कथा, व्रत, संस्कृति, सामाजिकता, प्रेम, भाईचारा, सद्भावना, नवरात्र, करवा चैथ, शिव चैदस, एकादशी व्रतAbstract
प्राचीन काल से ही धार्मिक कार्यों का हमारे जीवन में स्थान रहा है। ये धार्मिक कार्य ऐसे पुण्य हैं जिनसे हम लोक तथा परलोक में निःश्रेयस की प्राप्ति होती है। समाज में रहते हुए मनुष्य इन कार्यों को भी महत्त्व देता है तथा जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग मानता है। यज्ञ करवाना, पाठ करवाना, कथा करवाना, व्रत रखना आदि धार्मिक कार्य हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये हमारी संस्कृति के परिचायक होते हैं। इन दोनों का उद्देश्य सामाजिकता कायम करना, प्रेम, भाईचारा, सद्भावना का प्रचार करना है। व्रत और कथाएँ धार्मिक कार्यों के अन्तर्गत आती हैं। नवरात्र, करवा चैथ, शिव चैदस, एकादशी व्रत आदि के द्वारा हमारे मन में पवित्रा विचार आते हैं।Published
2018-01-01
How to Cite
[1]
“कुबेरनाथ राय के साहित्य में धार्मिक मान्यताएँ: -”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1446–1450, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7409
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Articles
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[1]
“कुबेरनाथ राय के साहित्य में धार्मिक मान्यताएँ: -”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1446–1450, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7409