कमलेश्वर के कथा साहित्य में आर्थिक चेतना
The Economic Consciousness in the Literature of Kamleshwar
Keywords:
कमलेश्वर, कथा साहित्य, आर्थिक चेतना, स्वतन्त्रता प्राप्ति, विभाजन, समस्याएं, अर्थ प्रणाली, राष्ट्रीय स्तर, सामाजिक व्यवहार, परिवर्तनAbstract
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् जनसामान्य को विश्वास था कि देश का हर क्षेत्र में तीव्र गति से विकास होगा। परन्तु विभाजन की भीषण घटना ने व्यक्ति को इतना कमजोर बना दिया कि उसका घर-बार उजड़ गया, वह शरणार्थी बन गया और दुबारा बसने के लिए उसे विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्वतन्त्रता के पश्चात् मिश्रित अर्थ प्रणाली और राष्ट्रीय स्तर पर हुये नियोजन से समाज के आर्थिक जीवन में जबरदस्त परिवर्तन हुआ। सामाजिक व्यवहार, सामाजिक आदान-प्रदान और सम्बन्धों की अपेक्षाओं में भी बदलाव आया। इस परिवर्तन में आर्थिक तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अर्थ के सन्दर्भ में वर्ग संघर्ष और द्वन्द्व ने सामाजिक जीवन में तनाव और बिखराव पैदा किया। संघर्ष और द्वन्द्व के दो छोर कहीं व्यवस्था और व्यक्ति, कहीं समाज और कहीं व्यक्ति और व्यक्ति होते हैं। जीवन में परिवर्तन के आर्थिक तत्व ने पारम्परिक जीवन मूल्यों को भी चुनौती दी, अतः पारिवारिक सामाजिक सम्बन्धों में द्वन्द्व उभरा और सम्बन्धों की स्थापित नैतिकता का विघटन आरम्भ हुआ। स्वतन्त्रता के पश्चात् गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर बनता गया।Published
2018-01-01
How to Cite
[1]
“कमलेश्वर के कथा साहित्य में आर्थिक चेतना: The Economic Consciousness in the Literature of Kamleshwar”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1451–1456, Jan. 2018, Accessed: Oct. 18, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7410
Issue
Section
Articles
How to Cite
[1]
“कमलेश्वर के कथा साहित्य में आर्थिक चेतना: The Economic Consciousness in the Literature of Kamleshwar”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1451–1456, Jan. 2018, Accessed: Oct. 18, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7410