भौगोलिक परिस्थितियाँ और भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि नवाचार व उनकी प्रासंगिकता

भू-भाग, गरीबी, और जलवायु परिवर्तन: भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि के प्रभाव

Authors

  • Dr. Santosh Anand

Keywords:

भौगोलिक परिस्थितियाँ, भारत, कृषि उत्पाद वृद्धि, नवाचार, प्रासंगिकता

Abstract

विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र उनकी अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी (बैकबोन) होती है। भारत में, 50 से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है, जिसका अर्थ है कि ये आबादी अधिकत्तर मानसून और जलवायु पर निर्भर है, क्योंकि भारत की कृषि मुख्य रूप से वर्षा सिंचित है। इस प्रकार यह तथ्य यहाँ के कृषि अर्थव्यवस्था को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है। साथ ही यह आस-पास के पर्यावरण, पारिस्थितिक तंत्र एवं कृषकों की आजीविका को सुभेद्य बना देता है। इसके अतिरिक्त, कृषि में अपर्याप्त सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश, अनुसंधान हेतु धन की कमी, फसल की विविधीकरण के प्रति किसानों का प्रतिरोध तथा अधिक संसाधनों की आवश्यकता आदि के कारण, जलवायु परिवर्तन से निपटने में कृषि क्षेत्र पूरी तरह असमर्थ है। दुर्गम भू-भाग के अलावा गरीबी और आय के साधनों के सीमित अवसर के कारण कृषक जलवायु परिवर्तन तथा इनके प्रभाव के प्रति सुभेद्य हो जाते है।

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Published

2018-01-01

How to Cite

[1]
“भौगोलिक परिस्थितियाँ और भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि नवाचार व उनकी प्रासंगिकता: भू-भाग, गरीबी, और जलवायु परिवर्तन: भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि के प्रभाव”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1908–1912, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7486

How to Cite

[1]
“भौगोलिक परिस्थितियाँ और भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि नवाचार व उनकी प्रासंगिकता: भू-भाग, गरीबी, और जलवायु परिवर्तन: भारत में कृषि उत्पाद वृद्धि के प्रभाव”, JASRAE, vol. 14, no. 2, pp. 1908–1912, Jan. 2018, Accessed: Mar. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7486