विज्ञान: कला, संस्कृति एवं समाज के मध्य सेतू

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Authors

  • Santosh Kumari

Keywords:

विज्ञान, कला, संस्कृति, समाज, जीवन, आविष्कार, चमत्कार, यातायात, पूर्ति, पदार्थ

Abstract

मानव की जिज्ञासा और आवश्यकता उसे निरन्तर विकास के पथ पर नित नए-नए आविष्कार एवम् प्रयोग करने को प्रेरित करती रहती है। आज हम अपने चारों और नज़र घुमाएं, तो चारों दिशाओं में विज्ञान के चमत्कार और अविष्कारों ने हमारा जीवन ही बदल दिया है। यातायात के साधन हों अथवा दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हम पूरी तरह से विज्ञान पर निर्भर है। वस्त्र, भवन, खाद्य सामग्री सभी पदार्थ परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से विज्ञान की ही देन है।

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Published

2018-04-01

How to Cite

[1]
“विज्ञान: कला, संस्कृति एवं समाज के मध्य सेतू: -”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 318–320, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7625

How to Cite

[1]
“विज्ञान: कला, संस्कृति एवं समाज के मध्य सेतू: -”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 318–320, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7625