कबीर की कविताओं में सामाजिक चेतना का अध्ययन

Exploring Kabir's Contribution to Social Consciousness in Hindi Literature

Authors

  • Leela Devi

Keywords:

कबीर, सामाजिक चेतना, निर्गुण मत, भक्ति काल, समाज सुधारक

Abstract

संत कबीर निर्गुण मत के अनुयायी कवि है। भक्ति काल में निर्गुण भक्तों में कबीर को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। भारतभूमि जो अनेक रत्नों की खान रही है उन्हीं महान् रत्नों में से एक थे संत कबीर। कबीर का अरबी भाषा में अर्थ है - महान्। वे भक्त और कवि बाद में थे, पहले समाज सुधारक थे। वे सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर की भाषा सधुक्कड़ी थी तथा उसी भाषा में कबीर ने समाज में व्याप्त अनेक रूढ़ियों का खुलकर विरोध किया है। हिन्दी साहित्य में कबीर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। रामचन्द्र शुक्ल ने भी उनकी प्रतिभा मानते हुए लिखा है “प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी।”

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Published

2018-04-01

How to Cite

[1]
“कबीर की कविताओं में सामाजिक चेतना का अध्ययन: Exploring Kabir’s Contribution to Social Consciousness in Hindi Literature”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 524–526, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7663

How to Cite

[1]
“कबीर की कविताओं में सामाजिक चेतना का अध्ययन: Exploring Kabir’s Contribution to Social Consciousness in Hindi Literature”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 524–526, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7663