रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम् में खुदीराम का चरित्र एकविवेचन
खुदीराम का चरित्र का विवेचन
Keywords:
रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम्, खुदीराम, चरित्र, साहित्यकार, कल्पना, तथ्य, व्यक्तित्व, विचार, भाव, स्तम्भोंAbstract
साहित्य की रचना करने वाला साहित्यकार किसी भी कृति का निर्माण करते समय केवल कल्पना या तथ्यों का आश्रय नहीं लेता अपितु कहीं न कहीं उस कृति में उसके स्वयं के व्यक्तित्व का भी समावेश होता है अपने विचारों और भावों को प्रकट करने के लिए वह जिन स्तम्भों का आश्रय लेता है उसे पात्र कहा जाता है लेखक की कृति में कथानक के पश्चात् प्रमुख तत्त्व पात्र ही होता हैPublished
2018-04-01
How to Cite
[1]
“रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम् में खुदीराम का चरित्र एकविवेचन: खुदीराम का चरित्र का विवेचन”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 860–862, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7727
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Section
Articles
How to Cite
[1]
“रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम् में खुदीराम का चरित्र एकविवेचन: खुदीराम का चरित्र का विवेचन”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 860–862, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7727