गुप्तोत्तर काल में सामाजिक छुआ-छुत की स्थिति
गुप्तोत्तर काल में सामाजिक वर्ण व्यवस्था और भाषा के प्रभाव
Keywords:
गुप्तोत्तर काल, सामाजिक छुआ-छुत, परम्परागत वर्ण व्यवस्था, अभिलेख, साहित्यिक ग्रंथ, पाटन नरेश, वर्ण व्यवस्था, शासकAbstract
परम्परागत वर्ण व्यवस्था का जिसके अनुसार समाज मोटे रूप से चार वर्णों में बंटा हुआ था, अभिलेख तथा साहित्यिक ग्रंथों में भी उल्लेख किया गया है। पाटन नरेश यद्यपि बौद्ध थे, फिर भी उन्होंने वर्ण व्यवस्था की रक्षा करने वाले शासक कहा गया है।Published
2018-04-01
How to Cite
[1]
“गुप्तोत्तर काल में सामाजिक छुआ-छुत की स्थिति: गुप्तोत्तर काल में सामाजिक वर्ण व्यवस्था और भाषा के प्रभाव”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 986–988, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7754
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Articles
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[1]
“गुप्तोत्तर काल में सामाजिक छुआ-छुत की स्थिति: गुप्तोत्तर काल में सामाजिक वर्ण व्यवस्था और भाषा के प्रभाव”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 986–988, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7754