भारत में कारागृह प्रणाली का विकास

अपराध और समाज: कारागृह व्यवस्था का विकास

Authors

  • Dr. Narendra Kumar

Keywords:

कारागृह प्रणाली, अपराध, समाज, नियंत्रण, सामाजिक सक्रियता, विकास, आपराधिक गतिविधियों, समाजिक क्रियाएं, सीमित क्षेत्र

Abstract

अपराध एक सार्वभौमिक प्रघटना है। कोई भी समाज अपराध मुक्त नहीं है। इससे न केवल समाज की विकास प्रक्रिया अवरूद्ध होती है वरन् नवीन आपराधिक गतिविधियों को भी उभरने का मौका मिलता है। इसी कारण हर समाज अपराधियों से घृणा करता है। समाज अपराध को नियंत्रित करने के लिए कोई न कोई प्रणाली अपनाता है। कारागृह व्यवस्था भी इसी प्रकार की एक प्रणाली है। कारागृह प्रणाली इस सिद्धांत पर आधारित है कि विचलनकारी व्यक्ति को समाज में रहने व सामाजिक क्रियाओं में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है। अतः उसे एक सीमित क्षेत्र में निरूद्ध कर दिया जाना चाहिए ताकि वह अपने कृत्य पर पुनःविचार कर सके। इस प्रकार अपराधी की सामाजिक सक्रियता को प्रतिबंधित करने व कृत्यों के प्रति स्वानुभूति करवाकर उसमें सुधार करने के लिए कारागृह व्यवस्था का जन्म हुआ।

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Published

2018-04-01

How to Cite

[1]
“भारत में कारागृह प्रणाली का विकास: अपराध और समाज: कारागृह व्यवस्था का विकास”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 1273–1277, Apr. 2018, Accessed: Aug. 21, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7808

How to Cite

[1]
“भारत में कारागृह प्रणाली का विकास: अपराध और समाज: कारागृह व्यवस्था का विकास”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 1273–1277, Apr. 2018, Accessed: Aug. 21, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7808