संस्कृत व्याकरण के विकास का अध्ययन

A Study of the Development of Sanskrit Grammar

Authors

  • Dr. Badlu Ram Shastri

Keywords:

संस्कृत व्याकरण, विकास, वैदिक काल, नाम, प्रख्यात, उपसर्ग, निपटा, व्याकरण पाणिनि, पदानुक्रमित इतिहास

Abstract

संस्कृत का व्याकरण वैदिक काल में ही एक स्वतंत्र विषय बन गया था। नाम, प्रख्यात, उपसर्ग और निपटा - इन चार बुनियादी तथ्यों को 700 से पहले ही व्याकरण में जगह मिली थी। कई व्याकरण पाणिनि (लगभग 550 ईसा पूर्व) से पहले लिखे गए थे, जिसमें आजिशली और काशकृत्नों के केवल कुछ ही सूत्र उपलब्ध हैं। लेकिन संस्कृत व्याकरण का पदानुक्रमित इतिहास पाणिनि से शुरू होता है। इस लेख में संस्कृत व्याकरण के विकास का अध्ययन किया गया है।

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Published

2018-04-01

How to Cite

[1]
“संस्कृत व्याकरण के विकास का अध्ययन: A Study of the Development of Sanskrit Grammar”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 1320–1323, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7817

How to Cite

[1]
“संस्कृत व्याकरण के विकास का अध्ययन: A Study of the Development of Sanskrit Grammar”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 1320–1323, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7817