संत कबीर दास के लेखन का समाज और संस्कृति पर प्रभाव

Exploring the Influence of Sant Kabir Das' Writings on Society and Culture

Authors

  • Soan Kiran Sharma

Keywords:

संत कबीर दास, लेखन, समाज, संस्कृति, प्रभाव

Abstract

कबीर के सोचने का एक अनूठा तरीका था। उन्होंने आजादी की आखिरी बूंद तक पिया। अपने पूरे काम के दौरान, कबीर ने 'सती' प्रथा के खिलाफ जोरदार तर्क दिया। फिर भी, वह महिलाओं के लिए बहुत कम सम्मान करता था। कबीर किसी भी दिखावटीपन को अस्वीकार करने में मुखर थे। जब वह छोटा था, तो उसने सच्चाई जानने पर जोर दिया। जीवन में कबीर की पूरी प्रेरणा अपने कर्तव्यों का पालन करना और सही रास्ते पर बने रहना था। जो लोग ईमानदारी के सीधे और संकरे रास्ते से भटक जाते हैं, वे निराशा और अधूरी क्षमता के जीवन के लिए अभिशप्त होते हैं। चारों तरफ कबीर का प्रभाव देखा जा सकता था। लोग अब भी कार्रवाई करने को तैयार हैं। कबीर की शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें। इसका मूल कारण सत्य के लक्ष्य की उसकी खोज है। कबीर के उपदेशों का पालन कोई रास्ता नहीं है कि हमारा जीवन असफलता में समाप्त हो जाए। वह शक्तिहीन महसूस कर रहा था क्योंकि उसने देखा कि बिना किसी विकल्प पर विचार किए लोगों की भीड़ विनाश की राह पर जा रही है। इसने सभ्यता की उन्नति को धीमा कर दिया।

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Published

2018-04-01

How to Cite

[1]
“संत कबीर दास के लेखन का समाज और संस्कृति पर प्रभाव: Exploring the Influence of Sant Kabir Das’ Writings on Society and Culture”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 1622–1628, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7872

How to Cite

[1]
“संत कबीर दास के लेखन का समाज और संस्कृति पर प्रभाव: Exploring the Influence of Sant Kabir Das’ Writings on Society and Culture”, JASRAE, vol. 15, no. 1, pp. 1622–1628, Apr. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/7872