कबीर की सामाजिक चेतना
The Social Consciousness of Kabir: A Pioneer in the Bhakti Movement and Social Reform
Keywords:
कबीर, सामाजिक चेतना, निर्गुण मत, भक्ति काल, समाज सुधारकAbstract
संत कबीर निर्गुण मत के अनुयायी कवि है। भक्ति काल में निर्गुण भक्तों में कबीर को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। भारतभूमि जो अनेक रत्नों की खान रही है उन्हीं महान् रत्नों में से एक थे संत कबीर। कबीर का अरबी भाषा में अर्थ है - महान्। वे भक्त और कवि बाद में थे, पहले समाज सुधारक थे। वे सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर की भाषा सधुक्कड़ी थी तथा उसी भाषा में कबीर ने समाज में व्याप्त अनेक रूढ़ियों का खुलकर विरोध किया है। हिन्दी साहित्य में कबीर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। रामचन्द्र शुक्ल ने भी उनकी प्रतिभा मानते हुए लिखा है “प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी।”1Published
2018-05-01
How to Cite
[1]
“कबीर की सामाजिक चेतना: The Social Consciousness of Kabir: A Pioneer in the Bhakti Movement and Social Reform”, JASRAE, vol. 15, no. 3, pp. 216–219, May 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8073
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Articles
How to Cite
[1]
“कबीर की सामाजिक चेतना: The Social Consciousness of Kabir: A Pioneer in the Bhakti Movement and Social Reform”, JASRAE, vol. 15, no. 3, pp. 216–219, May 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8073