सौन्दर्य लहरी में प्रयुक्त कृदन्त क्रिया पदों का विवेचन

धातु और प्रत्यय के संयोजन पर एक अध्ययन

Authors

  • Dr. Sunita Kumari

Keywords:

सौन्दर्य लहरी, कृदन्त क्रिया पद, संस्कृत भाषा, तिङन्त क्रियापद, कृदतिङ्

Abstract

संस्कृत भाषा के क्रियापदों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है तिङन्त क्रियापद एवं कृदन्त क्रियापद। ये दोनों प्रकार के क्रियापद दो सार्थक इकाईयों से बनते हैं। संज्ञावादी या विशेषण आदि बनाने के लिए धातु से जो प्रत्यय किए जाते हैं उन्हें कृत् कहते हैं। आचार्य पणिनि ने धातुओं से होने वाले ‘तिप तस झि’ आदि ‘तिङ्’ भिन्न प्रत्ययों को कृत् संज्ञा दी है- ‘कृदतिङ्’। इस प्रकार कृदन्त वे शब्द हैं जो ‘तिङ्’ भिन्न प्रत्ययों को धातुओं से जोड़कर बनाए जाते हैं।

Downloads

Published

2018-05-01

How to Cite

[1]
“सौन्दर्य लहरी में प्रयुक्त कृदन्त क्रिया पदों का विवेचन: धातु और प्रत्यय के संयोजन पर एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 3, pp. 279–282, May 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8083

How to Cite

[1]
“सौन्दर्य लहरी में प्रयुक्त कृदन्त क्रिया पदों का विवेचन: धातु और प्रत्यय के संयोजन पर एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 3, pp. 279–282, May 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8083