सौन्दर्य लहरी में प्रयुक्त कृदन्त क्रिया पदों का विवेचन
धातु और प्रत्यय के संयोजन पर एक अध्ययन
Keywords:
सौन्दर्य लहरी, कृदन्त क्रिया पद, संस्कृत भाषा, तिङन्त क्रियापद, कृदतिङ्Abstract
संस्कृत भाषा के क्रियापदों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है तिङन्त क्रियापद एवं कृदन्त क्रियापद। ये दोनों प्रकार के क्रियापद दो सार्थक इकाईयों से बनते हैं। संज्ञावादी या विशेषण आदि बनाने के लिए धातु से जो प्रत्यय किए जाते हैं उन्हें कृत् कहते हैं। आचार्य पणिनि ने धातुओं से होने वाले ‘तिप तस झि’ आदि ‘तिङ्’ भिन्न प्रत्ययों को कृत् संज्ञा दी है- ‘कृदतिङ्’। इस प्रकार कृदन्त वे शब्द हैं जो ‘तिङ्’ भिन्न प्रत्ययों को धातुओं से जोड़कर बनाए जाते हैं।Published
2018-05-01
How to Cite
[1]
“सौन्दर्य लहरी में प्रयुक्त कृदन्त क्रिया पदों का विवेचन: धातु और प्रत्यय के संयोजन पर एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 3, pp. 279–282, May 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8083
Issue
Section
Articles
How to Cite
[1]
“सौन्दर्य लहरी में प्रयुक्त कृदन्त क्रिया पदों का विवेचन: धातु और प्रत्यय के संयोजन पर एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 3, pp. 279–282, May 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8083