राजेंद्र यादव के उपन्यास साहित्य मे सामजिक चिंतन
स्वतंत्र्योत्तर कथा साहित्य में राजेन्द्र यादव का उपन्यास साहित्य और सामाजिक चिंतन
Keywords:
राजेन्द्र यादव, उपन्यास साहित्य, सामजिक चिंतन, स्वातंत्र्योत्तर कथा साहित्य, मध्यवर्गAbstract
स्वातंत्र्योत्तर कथा साहित्य को विकास की नयी दिशा देने और गहरे अर्थों में प्रभावित करने वाले रचनाकारों में राजेन्द्र यादव का नाम विशिष्ट है। स्वतंत्रता से पूर्व एवं पश्चात् देश की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों एवं परिस्थितियों में जो बदलाव आया, उसका सबसे ज्यादा प्रभाव मध्यवर्ग पर पड़ा। राजेन्द्र यादव ने इसी मध्यवर्ग को अपनी लेखनी का मूलाधार बनाया, तथापि उसकी कमजोरियों एवं विशेषताओं को यथार्थ के धरातल पर उद्घाटित किया है। उनके उपन्यासों का कथ्य जहाँ एक ओर मध्यवर्गीय जीवन में व्याप्त अन्तर्विरोधों एवं समस्याओं को उजागर करता है, वहीं दूसरी ओर गहरे उतरकर परिवेशजन्य विवशता में जीते हुए कमजोर, त्रस्त एवं उखड़े हुए व्यक्ति की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करता है।Published
2018-06-02
How to Cite
[1]
“राजेंद्र यादव के उपन्यास साहित्य मे सामजिक चिंतन: स्वतंत्र्योत्तर कथा साहित्य में राजेन्द्र यादव का उपन्यास साहित्य और सामाजिक चिंतन”, JASRAE, vol. 15, no. 4, pp. 512–515, Jun. 2018, Accessed: Nov. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8262
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Articles
How to Cite
[1]
“राजेंद्र यादव के उपन्यास साहित्य मे सामजिक चिंतन: स्वतंत्र्योत्तर कथा साहित्य में राजेन्द्र यादव का उपन्यास साहित्य और सामाजिक चिंतन”, JASRAE, vol. 15, no. 4, pp. 512–515, Jun. 2018, Accessed: Nov. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8262