विभिन्न काल एवं परिस्तिथियों में नारी अस्मिता

नारी अस्मिता: भारतीय समाज में बदलती पहचान

Authors

  • Savita .
  • Dr. Govind Dwivedi

Keywords:

नारी अस्मिता, व्यक्तित्व, विशिाष्ट, ऐतिहासिकता, वास्तविक, मिथकीय, शारीरिक भिन्नता, आन्तरिकता, वैयक्तिकता, स्वतंत्रता

Abstract

अस्मिता व्यक्ति के व्यक्तित्व की विशिाष्ट एवं विलक्षण पहचान है जो उसके समाज की विलक्षण ऐतिहासिकता एवं वास्तविक अथवा मिथकीय अतीत से जोड़ती है। नारी एक ऐसी सम्पूर्ण मानवीय इयत्ता है जो, पुरूष से शारीरिक भिन्नता लिए असीम संभावनाओं का पूँजीभूत रूप है जो अपनी आन्तरिकता, वैयक्तिकता और स्वतंत्रता द्वारा जीवन के उच्चतम् सोपानों को स्पर्श कर सकती है। नारी अस्मिता अपने स्थूल रूप में नारी की वैयक्तिकता, व्यक्ति या मनुष्य के रूप में उसकी गरिमा, प्रतिष्ठा तथा पहचान ही है जिसमें अपने जीवन पर खुद उसकी सत्ता होती है। 20वीं सदी में भूमण्डलीकरण, विज्ञापनवाद, बाजारवाद, उपभोक्तावाद, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थितियों के कारण भारतीय समाज में नारी अस्मिता के लिए बल मिला।

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Published

2018-06-02

How to Cite

[1]
“विभिन्न काल एवं परिस्तिथियों में नारी अस्मिता: नारी अस्मिता: भारतीय समाज में बदलती पहचान”, JASRAE, vol. 15, no. 4, pp. 547–550, Jun. 2018, Accessed: Nov. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8269

How to Cite

[1]
“विभिन्न काल एवं परिस्तिथियों में नारी अस्मिता: नारी अस्मिता: भारतीय समाज में बदलती पहचान”, JASRAE, vol. 15, no. 4, pp. 547–550, Jun. 2018, Accessed: Nov. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8269