पंडित लखमीचन्द: सामाजिक तथा व्यक्तिगत जीवन

भोली-भाली ग्रामीण जनता में पंडित लखमीचन्द का गायन: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • Updesh Devi

Keywords:

पंडित लखमीचन्द, सामाजिक, व्यक्तिगत जीवन, रागनियाँ, भजन

Abstract

पंडित लखमीचन्द अपने समय के हरियाणा के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं बहुचर्चित व्यक्ति थे। उनका नाम हरियाणा के लोकमानस में इस कदर रस-बस गया था कि आज भी ग्रामीण भाईयों को उनके द्वारा रचित भजन एवं रागनियाँ स्मरण हैं। हरियाणा के लोग खेतों, खलिहानों, चैपालों मेलों और अनेक सामाजिक पर्वो एवं तीज त्यौहारों के अवसर पर इन रागनियों और भजनों को गा-बजाकर अपार आनंद की अनुभूति करते हैं। भोली-भाली ग्रामीण जनता यह सोच भी नहीं सकती कि लखमीचन्द के इन रसिक एवं ज्ञान से ओत-प्रोत भजनों व रागनियों का कोई अन्य विकल्प भी हो सकता है। पंडित जी की किसी भी रागनी का सुमधुर आलाप उनके हृदय को रसप्लावित कर देता है। हरियाणा की जनता उन्हें सुनकर झूम उठती है।

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Published

2018-09-01

How to Cite

[1]
“पंडित लखमीचन्द: सामाजिक तथा व्यक्तिगत जीवन: भोली-भाली ग्रामीण जनता में पंडित लखमीचन्द का गायन: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 7, pp. 249–251, Sep. 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8683

How to Cite

[1]
“पंडित लखमीचन्द: सामाजिक तथा व्यक्तिगत जीवन: भोली-भाली ग्रामीण जनता में पंडित लखमीचन्द का गायन: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 7, pp. 249–251, Sep. 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8683