सूरदास का वात्सल्य-वर्णन

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Authors

  • Reena Saroha

Keywords:

सूरदास, वात्सल्य-वर्णन, श्रृंगार रस, शान्त रस, बालकृष्ण, लीलाओं, अन्तःचक्षुओं, भाव-विभोर, संसार, आकर्षण

Abstract

सूरदास जी वात्सल्यरस के सम्राट माने गए हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसो का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। बालकृष्ण की लीलाओं को उन्होंने अन्तःचक्षुओं से इतने सुन्दर, मोहक, यथार्थ एवं व्यापक रुप में देखा था, जितना कोई आँख वाला भी नहीं देख सकता। वात्सल्य का वर्णन करते हुए वे इतने अधिक भाव-विभोर हो उठते हैं कि संसार का कोई आकर्षण फिर उनके लिए शेष नहीं रह जाता।

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Published

2018-09-01

How to Cite

[1]
“सूरदास का वात्सल्य-वर्णन: -”, JASRAE, vol. 15, no. 7, pp. 481–486, Sep. 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8730

How to Cite

[1]
“सूरदास का वात्सल्य-वर्णन: -”, JASRAE, vol. 15, no. 7, pp. 481–486, Sep. 2018, Accessed: Sep. 19, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8730