वर्तमान भारत में उच्च शिक्षा की प्रगति
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Keywords:
उच्च शिक्षा, प्रगति, विकास, मानवीय संसाधन, विश्वविद्यालय, उच्चतर प्रशिक्षण, मार्ग, स्वरूप, स्रोत, ज्ञानAbstract
शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है, जो अनुभवों में वृद्धि कर व्यक्ति के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाती है। शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास का प्रमुख स्रोत है। किसी भी देश के विकास के लिए मानवीय संसाधनों का समुचित विकास आवश्यक है। मानवीय संसाधनों के विकास का महत्वपूर्ण कार्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव हो सकता है। मानवीय संसाधनो के विकास की दृष्टि से उच्च शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। इस सम्बन्ध में डॉ. ए. एस. अल्तेकर (1944) ने कहा है कि शिक्षा प्रकाश का वह स्रोत है, जो जीवन के विभिन्न क्षे़त्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदर्शन करती है। उच्च शिक्षा शिक्षा का वह स्वरूप है, जो मनुष्य को कार्यगत एवं स्वभावगत विशिष्टता प्रदान करती है अर्थात उच्च शिक्षा मनुष्य को जीवन की विशिष्टता की ओर उन्मुख करती है। किसी देश के सतत विकास हेतु उच्च शिक्षा जीवन के विभिन्न मार्गों जैसे सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी आदि के लिए एक मुख्य स्रोत है। विश्वविद्यालय एवं उच्च शैक्षणिक संस्थान अपने अनुसंधान एवं उच्चतर प्रशिक्षण के माध्यम से वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान का सृजन करते हैं और जहाँ कहीं भी इस प्रकार का ज्ञान सृजित होता है उसे सम्पूर्ण विश्व में हस्तांतरित करने, फैलाने और अनुकूलन में मदद करते हैं। इस प्रकार उच्च शिक्षा किसी देश के प्रगति एवं समृद्धि का एक सूचक भी है।Published
2018-09-01
How to Cite
[1]
“वर्तमान भारत में उच्च शिक्षा की प्रगति: -”, JASRAE, vol. 15, no. 7, pp. 633–641, Sep. 2018, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8758
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Articles
How to Cite
[1]
“वर्तमान भारत में उच्च शिक्षा की प्रगति: -”, JASRAE, vol. 15, no. 7, pp. 633–641, Sep. 2018, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/8758