हिंदी के वैश्विक प्रसार में आर्य समाज का योगदान

The Contribution of Arya Samaj in the Global Dissemination of Hindi Language

Authors

  • Bajinder Singh

Keywords:

हिंदी, वैश्विक प्रसार, आर्य समाज, धर्म, समाज

Abstract

‘‘सन् 1875 ई0 में स्वामी दयानंद सरस्वती (1824-83ई0) की प्ररेणा से महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था आर्य समाज की स्थापना हुई, जिसके द्वारा धर्म, समाज, शिक्षा एवं सहित्य के क्षेत्र में क्रान्ति हुई। आर्य समाज के नेताओं ने धर्म और समाज के क्षेत्र में प्रचलित रूढ़ियों, अंधविश्वासों-पाखण्डों आदि का खण्डन करके हिंदी भाषा के माध्यम से धर्म एवं सदाचार के शुद्ध रूप को प्रकाशित किया।”1 इससे भारतीय समाज में जागृति की एक नई लहर और बौद्धिक चेतना की एक नयी उद्दीप्ति फैली, जिसका प्रभाव साहित्य और भाषा पर भी पड़ना पूर्ण रूप् से स्वाभाविक था। ‘‘जैसा कि आधुनिक काल को गद्यकाल कहा जाता है और इससे (गद्य) बौद्धिक चेतना से इसका सीधा सम्बन्ध है।2 जब भी किसी व्यक्ति या समाज के द्वारा विचार-विमर्श, तर्क, वितर्क एवं चिन्तन-मनन के बौद्धिक प्रयास होते है तो उस स्थिति में उसकी अभिव्यक्ति के लिए भाषा के गद्य रूप् की आवश्यकता पर आश्रित आन्दोलन नहीं था, वह बौद्धिकता पर आधारित था, अतः उसके नेताओं के द्वारा अत्यन्त सशक्त गदय का प्रयोग किया गया स्वामी दयानंद स्वयं गुजराती थे और संस्कृत के उद्भट विद्वान थे। इसे वावजूद अपने अनेक ग्रंथों की रचना हिंदी में ही की जिनमें सत्यार्थ-प्रकाश विशेष रूप से उल्लेखनीय है।3 इसका प्रथम संस्करण 1865ई. में तथा द्वितीय संशोधित एवं परिवर्धित संस्करण (1883ई0) में प्रकाशित हुआ ‘‘यह ग्रन्थ चैदह सम्मुलासों (अध्याय) में विभक्त हैं, जिसमें वैदिक धर्म की व्याख्या के अनन्तर विभिन्न वेद-विरोधी धर्म सम्प्रदायों का खण्डन किया गया है।

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Published

2018-12-01

How to Cite

[1]
“हिंदी के वैश्विक प्रसार में आर्य समाज का योगदान: The Contribution of Arya Samaj in the Global Dissemination of Hindi Language”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 364–366, Dec. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9259

How to Cite

[1]
“हिंदी के वैश्विक प्रसार में आर्य समाज का योगदान: The Contribution of Arya Samaj in the Global Dissemination of Hindi Language”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 364–366, Dec. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9259