देशज और अपभ्रंश की गतिशीलता

भाषा और शब्द रूपों के विकार

Authors

  • Minakshi .

Keywords:

व्याकरणाचार्य, अपभ्रंश, देशी भाषा, शाब्दिक अर्थ, विकृत शब्द रूप

Abstract

व्याकरणाचार्य जिस भाषा को अपभ्रंश कहते हैं उसी भाषा को उसमें रचना करने वाले देशी भाषा कहते हैं। अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ है-भ्रष्ट, विकृत, अशुद्ध। भाषा के सामान्य मानदण्ड से जो शब्द रूप विकृत हों वे अपभ्रश हैं। यह अवश्य है कि भाषा का एक सामान्य मानदण्ड बोलियों के अनेक विकृत शब्द रूपों से ही स्थिर होता है किन्तु, उसके साथ ही यह भी निश्चित है कि लोक व्यवहार में उस सामान्य मान के भी विकार होते रहते हैं।

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Published

2018-12-01

How to Cite

[1]
“देशज और अपभ्रंश की गतिशीलता: भाषा और शब्द रूपों के विकार”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 399–402, Dec. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9270

How to Cite

[1]
“देशज और अपभ्रंश की गतिशीलता: भाषा और शब्द रूपों के विकार”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 399–402, Dec. 2018, Accessed: Jun. 27, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9270