सूर-काव्य में निहित वात्सल्य वर्णन
भक्ति और वात्सल्य के प्रतीक: सूरदास की काव्य रचना में एक अध्ययन
Keywords:
सूर-काव्य, निहित, वात्सल्य, वर्णन, सूरदासAbstract
सूरदास जी वात्सल्यरस के सम्राट माने गए हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसो का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। बालकृष्ण की लीलाओं को उन्होंने अन्तःचक्षुओं से इतने सुन्दर, मोहक, यथार्थ एवं व्यापक रुप में देखा था, जितना कोई आँख वाला भी नहीं देख सकता। वात्सल्य का वर्णन करते हुए वे इतने अधिक भाव-विभोर हो उठते हैं कि संसार का कोई आकर्षण फिर उनके लिए शेष नहीं रह जाता।Published
2018-12-01
How to Cite
[1]
“सूर-काव्य में निहित वात्सल्य वर्णन: भक्ति और वात्सल्य के प्रतीक: सूरदास की काव्य रचना में एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 406–410, Dec. 2018, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9272
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Articles
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[1]
“सूर-काव्य में निहित वात्सल्य वर्णन: भक्ति और वात्सल्य के प्रतीक: सूरदास की काव्य रचना में एक अध्ययन”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 406–410, Dec. 2018, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9272