विभाजन के आईने में झूठा-सच

Exploring the Realities of the Partition of India

Authors

  • Bhaskar Mishra

Keywords:

विभाजन, भारत-पाकिस्तान, इतिहास, लूट-पाट, हिंसा, वतन और देश, अंग्रेजों, साम्प्रदायिकता, पिछड़ापन, आर्थिक विषमता

Abstract

भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-की-तस अंकित है। अपनी जमीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे। यह न सिर्फ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष के उन शाश्वत मूल्यों की भी परीक्षा थी जिनके दम पर सदियों से हमारी हस्ती मिटती नहीं थी। यशपाल का यह कालजयी उपन्यास उसी ऐतिहासिक कालखंड का महाआख्यान है। स्वयं यशपाल के शब्दों में यह इतिहास नहीं है, ‘कथानक में कुछ ऐतिहासिक घटनाएँ अथवा प्रसंग अवश्य हैं परन्तु सम्पूर्ण कथानक कल्पना के आधार पर उपन्यास है, इतिहास नहीं।’ अर्थात् यह उस जिन्दगी का आख्यान है जो अक्सर इतिहास के स्थूल ब्यौरों में कहीं खो जाती है। ‘झूठा सच’ के इस पहले खंड ‘वतन और देश’ में विभाजन के दौरान हुई लूट-पाट और हिंसा के रोंगटे खड़े कर देनेवाले माहौल और उस भीतरी विभाजन का यथार्थवादी अंकन किया गया है जिसके चलते वतन और देश दो अलग-अलग इकाइयाँ हो गए। उपन्यास यह भी जानने की कोशिश करता है कि इसके कारण क्या थे - अंग्रेजों की चाल, साम्प्रदायिकता, पिछड़ापन या आर्थिक विषमता या यह सब एक साथ ।

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Published

2018-12-01

How to Cite

[1]
“विभाजन के आईने में झूठा-सच: Exploring the Realities of the Partition of India”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 552–554, Dec. 2018, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9303

How to Cite

[1]
“विभाजन के आईने में झूठा-सच: Exploring the Realities of the Partition of India”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 552–554, Dec. 2018, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9303