डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी की हिन्दी आलोचना में मानसिक संवेदना

The Development of Hindi Criticism: Exploring the Mind and Sensibility in the Works of Dr. Ramsvaroop Chaturvedi

Authors

  • Renu Mittal

Keywords:

डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी, हिन्दी आलोचना, मानसिक संवेदना, भारतेन्दु युग, रीतिकाल, आदिकाल, भक्तिकाल, टीका टिप्पणी, विकास क्रम, आचार्य रामचन्द्र शूक्ल, वीरगाथा काल, रासो-काव्य, अपभ्रंश आधारित बानियों, गाथा, शौर्य, शिवैलरी

Abstract

भारतेन्दु युग में कई साहित्यिक भाषाओं का नवीनी करण हुआ। इनमें से एक आलोचना भी थी। हिन्दी आलोचना की वास्तविक शुरूआत तो रीतिकाल से थोड़ा बाद भारतेन्दु युग से होती है, लेकिन इसके पहले आदिकाल और भक्तिकाल में भी कुछ आलोचनात्मक टीका टिप्पणी हुई है। हिन्दी आलोचना के विकास क्रम को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से जाना जा सकता है। आदिकालीन आलोचना आदिकालीन आलोचना- आचार्य रामचन्द्र शूक्ल ने आदिकाल को वीरगाथा काल नाम बहुत समझ बूझकर दिया है। उनकी दृष्टि में इस काल का केन्द्रीय साहित्य रासो-काव्य है न कि सिद्ध-नाथों की बानियाँ। भाषा की दृष्टि से हिन्दी की वास्तविक शुरूआत जितने स्पष्ट रूप से रासो में दिखाई देती है उतनी इन अपभ्रंश आधारित बानियों में नहीं। आ. रामचन्द्र शुक्ल के नामकरण में ‘वीर’ शब्द ही नहीं ‘गाथा’ का भी विशिष्ट अर्थ है।‘गाथा’ के साथ शौर्य और ‘शिवैलरी’ के तत्व जुड़े हुए हैं।

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Published

2018-12-01

How to Cite

[1]
“डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी की हिन्दी आलोचना में मानसिक संवेदना: The Development of Hindi Criticism: Exploring the Mind and Sensibility in the Works of Dr. Ramsvaroop Chaturvedi”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 652–656, Dec. 2018, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9324

How to Cite

[1]
“डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी की हिन्दी आलोचना में मानसिक संवेदना: The Development of Hindi Criticism: Exploring the Mind and Sensibility in the Works of Dr. Ramsvaroop Chaturvedi”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 652–656, Dec. 2018, Accessed: Aug. 03, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9324