स्त्री विमर्श
The Dichotomy of Women in Indian Society
Keywords:
स्त्री विमर्श, पुरुष, नारी-शक्ति, देवी, मनुस्मृति, शास्त्र, नारी, पांचाली, सत्य हरिशचन्द्र, राम, सीताAbstract
हमारे भारतीय समाज में आदिकाल से ही, पुरुष, नारी-शक्ति स्वरूप देवी की पूजा- अर्चना, ’या देवी सर्वभूतेषु’ के मन्त्रोच्चारण से करते आ रहे हैं लेकिन जब किसी औरत के मान-मर्यादा की बात आती है, तब वे विदक जाते हैं। इस दोहरेपन का श्रेय बहुत हद तक हमारे ’मनुस्मृति’ और अन्य उस तरह के शास्त्रों को जाता है, जिसमें नारी को घर की सजावट और पुरु्षों के मन बहलाने का खिलौना माना गया है। अन्यथा पांचाली दावँ पर नहीं लगती,सत्य हरिशचन्द्र अपने दान की दक्षिणा चुकाने अपनी स्त्री, शैव्या को नहीं बेचते, राम द्वारा सीता की अग्नि- परीक्षा नहीं ली जाती।Published
2018-12-01
How to Cite
[1]
“स्त्री विमर्श: The Dichotomy of Women in Indian Society”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 965–967, Dec. 2018, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9382
Issue
Section
Articles
How to Cite
[1]
“स्त्री विमर्श: The Dichotomy of Women in Indian Society”, JASRAE, vol. 15, no. 12, pp. 965–967, Dec. 2018, Accessed: Sep. 20, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9382