कबीर समाज सुधारक के रूप में

A Visionary Sant Poet Transforming Society

Authors

  • Pooja .

Keywords:

कबीर समाज सुधारक, संत काव्यधारा, हिन्दी साहित्य, रूढ़िवादी परम्परा, महान क्रान्तिकारी, सन्देश

Abstract

समाजसुधारक के रूप विख्यात संत काव्यधारा के प्रमुख कवि कबीर का नाम हिन्दी साहित्य में बडे़ आदर के साथ लिया जाता है। कबीर समाज सुधारक पहले तथा कवि बाद में है। उन्होने समाज में व्याप्त रूढ़ियों तथा अन्धविश्वासों पर करारा व्यंग्य किया है। उन्होने धर्म का सम्बन्ध सत्य से जोड़कर समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परम्परा का खण्डन किया है। कबीर ने मानव जाति को सर्वश्रैष्ठ बताया है तथा कहा है कि इसमें से कोई भी ऊंचा या नीचा नहीं है। एक महान क्रान्तिकारी होने के कारण उन्होने समाज में व्याप्त अनेक कुरूतीयों व बुराईयों को दूर करने का प्रयास किया है। कबीर ने मानव जाति को एक अच्छा सन्देश दिया है। हमें उनके सन्देश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

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Published

2019-01-01

How to Cite

[1]
“कबीर समाज सुधारक के रूप में: A Visionary Sant Poet Transforming Society”, JASRAE, vol. 16, no. 1, pp. 690–693, Jan. 2019, Accessed: Aug. 20, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9580

How to Cite

[1]
“कबीर समाज सुधारक के रूप में: A Visionary Sant Poet Transforming Society”, JASRAE, vol. 16, no. 1, pp. 690–693, Jan. 2019, Accessed: Aug. 20, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9580