कमलेश्वर के कथा साहित्य में मूल्य चित्रण जीवन मूल्यों का विघटन

आत्मकेन्द्रिता और मानव व्यक्तित्व के चित्रण

Authors

  • Jaswinder Singh
  • Dr. Praveen Kumar

Keywords:

कमलेश्वर, कथा साहित्य, मूल्य चित्रण, जीवन मूल्य, स्वतन्त्रता, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, मानव व्यक्तित्व

Abstract

स्वतन्त्रता के पश्चात् सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों में परिवर्तन हुआ, जिसका प्रभाव साहित्य पर भी पड़ा। स्वतन्त्राता से पूर्व देखे गये स्वप्न स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद टूट गये। देश विभाजन ने व्यक्ति के मन में व्यक्ति के प्रति घृणा की आग भर दी। बेरोजगारी, संत्रास, भय एवं अकेलापन आदि ने जीवन की संवेदनाओं, अनुभूतियों, पारिवारिक विघटन, अन्तर्बाह्य जटिलताओं एवं मूल्य संक्रमण की स्थिति आदि का चित्राण सामान्यतः हुआ। कमलेश्वर का कथा साहित्य भी इन परिस्थितियों के चित्रण से अछूता नहीं है। उन्होंने आधुनिक युगबोध को वैयक्तिक अनुभूति तथा संवेदना के आधार पर अभिव्यंजित किया है। कमलेश्वर ने मानव व्यक्तित्व को आधुनिकता से संबद्ध करते हुए बढ़ती आकुलता, संत्रास, नैराशय एवं भावनाओं से कटकर आत्मकेन्द्रित किया है। आत्मरति की प्रवृत्ति को आत्मसात् कर वैयक्तिगत चेतना को अंकित करने वाली उनकी कहानियाँ---‘तलाश’, ‘ऊपर उठता हुआ मकान’, ‘मांस का दरिया’ आदि इन नवीन परिस्थितियों को उद्घाटित करती है।

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Published

2019-01-01

How to Cite

[1]
“कमलेश्वर के कथा साहित्य में मूल्य चित्रण जीवन मूल्यों का विघटन: आत्मकेन्द्रिता और मानव व्यक्तित्व के चित्रण”, JASRAE, vol. 16, no. 1, pp. 1818–1824, Jan. 2019, Accessed: Jul. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9809

How to Cite

[1]
“कमलेश्वर के कथा साहित्य में मूल्य चित्रण जीवन मूल्यों का विघटन: आत्मकेन्द्रिता और मानव व्यक्तित्व के चित्रण”, JASRAE, vol. 16, no. 1, pp. 1818–1824, Jan. 2019, Accessed: Jul. 16, 2025. [Online]. Available: https://ignited.in/index.php/jasrae/article/view/9809