बिरहोर जनजाति की सांस्कृतिक जीवन शैली का एक अध्ययन

A Study of the Cultural Lifestyle of the Birhor Tribe

Authors

  • Dr. Arvind Kumar Upadhyay

Keywords:

बिरहोर, जनजाति, सांस्कृतिक जीवन शैली, भारत, विकास, जातीय विशिष्टता, जीवन शैली, समुदाय, विलुप्त

Abstract

भारत में प्राचीन काल से ही आदिम समुदायों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचति जनजातियों की है। चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में ढ़ेवार आयोग की रिपोर्ट और अन्य अध्ययनों के आधार पर अनुसूचित जनजातियों में एक उप-समूह को चिन्हित किया गया जिसे ‘आदिम आदिवासी समूह’ Primitive Tribal Group (PTG) के नाम से जाना गया। यह उप-समूह या उप-श्रेणी जनजातियों के ऐसे समुदायों को चिन्हित करता है जो विकास के विभिन्न मापदण्डों से सबसे निम्न स्तर पर हैं। कम, स्थिर, अत्यन्त निम्न स्तरीय साक्षारता दर के कारण बाद में इस उप-समूह को Particularly vulnerable Tribal Group (PVTG) के नाम से जाना गया जो पहले Primitive Tribal Group (PTG) के नाम से जाना जाता था। यह उप-समूह जनजातियों अथवा आदिम समुदाय के अनेक विशिष्टिताओं को प्रदर्शित करते हैं उदाहरण के लिए शिकार कर भोजन इकट्ठा करना घने जंगलों में रहना इत्यादि। जनजातियों के ऐसे उप-समूहों की जातीय विशिष्टता और विशिष्ट जीवन शैली के संरक्षण के लिए अनेक नीतिगत प्रयास भी हुए हैं। वस्तुतः जनजातियों की विशिष्ट सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन शैली की इन्हें विशिष्ट बनाती है। ऐसे जनजातियों में बिरहोर एक प्रमुख जनजाति है जो भारत में लुप्तप्राय हो रहे हैं। अतः इस शोध-आलेख के माध्यम से विलुप्त हो रहे जनजातियों की एक उप-समूह ‘बिरहोर’ की सांस्कृतिक जीवन शैली का अध्ययन करना प्रसंगाधीन है।

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Published

2019-11-01

How to Cite

[1]
“बिरहोर जनजाति की सांस्कृतिक जीवन शैली का एक अध्ययन: A Study of the Cultural Lifestyle of the Birhor Tribe”, JASRAE, vol. 16, no. 11, pp. 51–53, Nov. 2019, Accessed: Jul. 05, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/12542

How to Cite

[1]
“बिरहोर जनजाति की सांस्कृतिक जीवन शैली का एक अध्ययन: A Study of the Cultural Lifestyle of the Birhor Tribe”, JASRAE, vol. 16, no. 11, pp. 51–53, Nov. 2019, Accessed: Jul. 05, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/12542