बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के तथ्यों का प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के तथ्यों का प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण: भारतीय सामाजिक संरचनाओं के प्रगति के लिए सार्थक कदम

Authors

  • Dr. S. K. Mahto
  • Dr. Rani Mahto

Keywords:

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, शिक्षा, सामाजिक समरसता, मानवीय सदगुण, विद्यालय, मातृभाषा, लोकतान्त्रिक विधि, आत्मानुभूति, स्वतंत्रता, स्त्री शिक्षा

Abstract

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने शिक्षा को सामाजिक समरसता व मानवीय सदगुणों का विकास करने वाली बताया। विभिन्न विद्वानों व शिक्षाविदों ने शिक्षा केा व्यापक संकल्पना के रुप में प्रस्तुत किया है। उसे अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है। किसी ने उसे ज्ञान का तीसरा चक्षु कहा है तो किसी ने “सा विद्या या विमुक्तये“ कोई उसे शरीर और आत्मा को पूर्णता प्रदान करने वाली बताता हे तो कोई आन्तरिक शक्तियों को बाहर प्रकट करने वाली। बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर ने अपनी पुस्तकों लेखों तथा भाषणों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से शिक्षा के उद्देश्यों की चर्चा की है। उन्होंने शिक्षा को जीवन का अभिन्न अंग मानकर, सामाजिक समता व लोकतान्त्रिक भावना का विकास करने वाले विषयों को पाठयक्रम में महत्वपूर्ण स्थान दिया। वे शिक्षण का माध्यम मातृभाषा को बनाना चाहते थे तथा शिक्षण की लोकतान्त्रिक विधि के पक्ष में थे जिससे कि सभी विद्यार्थी अध्ययन में रुचि लेकर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके। बाबा साहेब विद्यालय को समाज का लघुरुप मानते थे, इसलिए उन्होंने विद्यालय में सामूहिक शिक्षा पद्धति पर बल दिया तथा विद्यालय में स्वतंत्रता, समता और भ्रातृत्व के वातावरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को आत्मानुभूति व आत्मोन्नति करना व नैतिक विकास हो। उन्होंने कहा कि शिक्षक - शिक्षार्थी संबंध आत्मीयतापूर्ण तथा मित्रतापूर्ण होने चाहिए। छात्र को एक मित्र की भाँति शिक्षक कों अपनी समस्याओं से अवगत कराना चाहिए तथा शिक्षक को यथासम्भव समस्या का समाधान कर छात्र की सहायता करनी चाहिए। बाबा साहेब कहते है कि दलितों व स्त्रियों की शिक्षा के बिना देश के विकास की बात करना दिन में सपने देखने जैसा हैं इसलिए उन्होंने स्त्री शिक्षा पर बल दियाउपरोक्त तथ्यों के आधार पर निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा सुझाये गये शिक्षा संबंधी आयाम भारतीय सामाजिक संरचनाओं का प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए सार्थक कदम था। अतः मनुष्य को स्वंय शिक्षित रहते हुए दूसरों को भी शिक्षित करते रहना चाहिए।

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Published

2021-08-01

How to Cite

[1]
“बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के तथ्यों का प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण: बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के तथ्यों का प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण: भारतीय सामाजिक संरचनाओं के प्रगति के लिए सार्थक कदम”, JASRAE, vol. 18, no. 5, pp. 252–258, Aug. 2021, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13475

How to Cite

[1]
“बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के तथ्यों का प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण: बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा के तथ्यों का प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण: भारतीय सामाजिक संरचनाओं के प्रगति के लिए सार्थक कदम”, JASRAE, vol. 18, no. 5, pp. 252–258, Aug. 2021, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13475