बैगा महिलाओं के आभूषण प्रेम की एक झलक

बैगा जनजाति की महिलाओं का आभूषण प्रेम: एक विश्लेषण

Authors

  • कल्पना बिसेन
  • डॉ. गुलरेज खान

Keywords:

बैगा, महिलाओं, आभूषण, प्रेम, झलक

Abstract

बैगा छत्तीसगढ़ की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। छत्तीसगढ़ में उनकी जनसंख्या जनगणना 2011 में 89744 दशाई गई है। राज्य में बैगा जनजाति के लोग मुख्यतः कवर्धा और बिलासपुर जिले में पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश के डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, शहडोल जिले में इनकी मुख्य जनसंख्या निवासरत है।बैगा जनजाति के उत्पत्ति के संबंध में ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। रसेल, ग्रियर्सन आदि में इन्हें भूमिया, भूईया का एक अलग हुआ समूह माना जाता है। किवदंतियों के अनुसार ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना की तब दो व्यक्ति उत्पन्न किये। एक को ब्रह्मा जी ने ‘‘नागर‘‘ (हल) प्रदान किया। वह ‘‘नागर‘‘ लेकर खेती करने लगा तथा गोंड कहलाया। दूसरे को ब्रह्माजी ने ‘‘टंगिया‘‘ (कुल्हाड़ी) दिया। वह कुल्हाड़ी लेकर जंगल काटने चला गया, चूंकि उस समय वस्त्र नहीं था, अतः यह नंगा बैगा कहलाया। बैगा जनजाति के लोग इन्हीं को अपना पूर्वज मानते हैं। इस लेख में हम बेगा समुदाय की महिलाओं को आभूषण के प्रति प्रेम को दर्शया है

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Published

2021-08-01

How to Cite

[1]
“बैगा महिलाओं के आभूषण प्रेम की एक झलक: बैगा जनजाति की महिलाओं का आभूषण प्रेम: एक विश्लेषण”, JASRAE, vol. 18, no. 5, pp. 320–346, Aug. 2021, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13486

How to Cite

[1]
“बैगा महिलाओं के आभूषण प्रेम की एक झलक: बैगा जनजाति की महिलाओं का आभूषण प्रेम: एक विश्लेषण”, JASRAE, vol. 18, no. 5, pp. 320–346, Aug. 2021, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13486