महाकवि भास के पूर्वर्ती ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था

भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था का महत्व और गुण

Authors

  • Smt. Nageeta Soni
  • Dr. Ved Prakash Mishra

Keywords:

वर्ण व्यवस्था, भारतीय समाज, समाज संघटन, गुण, कर्म

Abstract

भारतीय सामाजिक व्यवस्था केन्द्र ही वर्ण व्यवस्था है। इसलिए जब तक वर्ण व्यवस्था का स्वरूप, स्थिति, महत्व आदि का ज्ञान न हो तब तक भारतीय समाज का आधार को समझ पाना मुश्किल है। समाज संघटन व्यवस्था को यथोचित रूप से समझना और कार्यों का विभाजन उन-उन समाजिक संघटन पर निष्ठा होनी चाहिए। औचित्य मूलक कार्य विभाजन समाजिक संघटनों का स्वभाव, गुण, व्यवहार के आधार पर था। इन सब को लक्ष्य कर शास्त्रकारों के द्वारा गुण, कर्म आदि के आधार पर चार समूहों की कल्पना और उन समूहों को समझकर उसके सामाजिक कर्तव्यों एवं दायित्वों, क्रिया कलापों को निर्धारण किये है।

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Published

2021-10-01

How to Cite

[1]
“महाकवि भास के पूर्वर्ती ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था: भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था का महत्व और गुण”, JASRAE, vol. 18, no. 6, pp. 176–178, Oct. 2021, Accessed: Jul. 02, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13534

How to Cite

[1]
“महाकवि भास के पूर्वर्ती ग्रन्थों में वर्ण व्यवस्था: भारतीय समाज में वर्ण व्यवस्था का महत्व और गुण”, JASRAE, vol. 18, no. 6, pp. 176–178, Oct. 2021, Accessed: Jul. 02, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13534